अखिल भारतीय मिथिला संघ भारत की अग्रणी मैथिली साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था है। यह संस्था विगत 55 वर्षों से दिल्ली व भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है। संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में अनेक गणमान्य व्यक्ति जैसे कि महामहिम राष्ट्रपति, अनेक उपराष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री , अनेक केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, उच्च पद पर स्थापित प्रशासनिक पदाधिकारी एवं मिथिला के मर्धून्य विद्वान उपस्थित होकर संस्था को गौरवान्वित करते रहते हैं।
प्राकृतिक आपदाओ में भी अखिल भारतीय मिथिला संघ पीड़ितों के साथ सदैव खड़ा रहता है। इस वर्ष भी बिहार के विभिन्न जिलों में आई भीषण बाढ़ के समय पर्याप्त राहत सामग्री का संस्था के द्वारा बाढ़ पीड़ितों के बीच वितरण किया गया। कोरोना के प्रथम फेज में संघ ने पेटीएम के माध्यम से हजारो परिवारों को राशन वितरण किया, जो अपने-आप में एक मिशाल है, जिसे विभिन्न स्तर पर सराहा गया है।
मैथिली साहित्य के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए भी अखिल भारतीय मिथिला संघ प्रतिबद्ध है। विगत दो वर्षों से संघ द्वारा मैथिली शोध पत्रिका ‘तीरभक्ति’ का प्रकाशन किया जा रहा है। साथ ही मिथिला/मैथिली से संबंधित विविध विषयों पर संस्था के द्वारा पुस्तकें भी प्रकाशित की जा रही हैं।
अखिल भारतीय मिथिला संघ के मचं पर गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति हमेशा से रही है। वर्ष 2017 में संघ के स्वर्णजयंती के अवसर पर तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में हजारों मैथिलों के समागम को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष समिुत्रा महाजन, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज आदि का समवेत सान्निध्य मिला था। वहीं 2018 में राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश व बिहार विधान परिषद के उपसभापति हारून रशीद तथा 2019 में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत अनेक जनप्रतिनिधियों व विद्वानों की गरिमामय उपस्थिति रही। इन आयोजनों में संस्था के संरक्षक व राज्यसभा सांसद श्री प्रभात झा जी का दिशा निर्देश अनवरत मिलता रहा है।
मिथिला शुरू से ही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय चेतना एवं राजनीतिक संघर्ष का केंद्र रहा है। राजधानी दिल्ली में लगभग 40 लाख से अधिक मैथिल लोग रहते हैं। ये मिथिलांचल, बिहार से आये हुए सभी तबके के लोग हैं। मिथिला के दक्षिण में गंगा, उत्तर में हिमालय वन, पश्चिम में गंडक और पूरब में कोसी नदी तक फैला हुआ है। जिसमें लगभग 4 करोड़ मैथिली भाषी रहते हैं, यहॉं प्राचीन लोकनाट्य, लोक संगीत, लोक नृत्य एवं लोक संस्कृति की परंपरा रही है। यहॉं लगभग प्रत्येक गॉंव में आज भी विभिन्न पूजा आयोजनों के अवसर पर लोक संस्कृति की परंपरा विद्यमान है।
विगत 46 वर्षों से मैथिली भाषियों के सांस्कृतिक केन्द्र बिन्दु अखिल भारतीय मिथिला संघ रहा है। यह संघ सर्व दलीय, सर्वजातीय एवं सर्वधर्म संभाव में विश्वास रखने वाली सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था है। यह संस्था प्रत्येक वर्ष मिथिला विभूति पर्व समारोह का आयोजन करता आ रहा है।